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प्रधानमंत्री की अन्य शक्तियों एवं कार्य

शासन का प्रमुख होने के कारण प्रधानमंत्री को अपार शक्तियां प्राप्त हैं। मुनरो ने प्रधानमंत्री को राज्य की नोक का कप्तान तो जेनिंग्स ने उसे उसे सूरज के समान माना है जिसके चारों ओर ग्रह घूमते हैं। वह चाहे तो कुछ ऐसे भी भागों आयोगों अथवा परिषदों का गठन कर सकता है जो गैर संवैधानिक है। अर्थात जो संविधान में वर्णित नहीं है। उसकी अन्य शक्तियों और कार्यों को निम्नलिखित तरीकों से समझा जा सकता है।

  • साधारण तौर पर सबसे महत्वपूर्ण विभाग उसके पास होते हैं जैसे परमाणु ऊर्जा अथवा परमाणु शोध से संबंधित विभाग अंतरिक्ष अथवा अंतरिक्ष अनुसंधान विभाग इसके अलावा ऐसे अन्य सभी विभाग उसके पास होते हैं जो उसने किसी और मंत्री को आवंटित न किया हो।
  • यह योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है जो एक गैर संवैधानिक आयोग है। योजना आयोग का ही नया नाम नीति आयोग है।
  • वह राष्ट्रीय विकास परिषद और राष्ट्रीय एकता परिषद का अध्यक्ष होता है।
  • वह अंतर राज्य परिषद और राष्ट्रीय एकता परिषद का अध्यक्ष होता है।
  • राष्ट्रपति उस विचार विमर्श किए बिना आपात की घोषणा नहीं कर करता।
  • जिस तरह राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रथम प्रतिनिधि कहा जाता है उसी प्रकार प्रधानमंत्री जनता का प्रथम प्रतिनिधि होता है।
  • वह शासन अध्यक्ष भी होता है और केंद्रीय शासन का प्रमुख प्रवक्ता भी है।
  • वास्तव में राष्ट्रपति में निहित सारी संवैधानिक शक्तियों का उपयोग और क्रियान्वयन प्रधानमंत्री के द्वारा ही होता है।
  • विदेश मंत्रालय में विदेश मंत्री के होने के उपरांत भी वह विदेश नीति के निर्धारण और क्रियान्वयन मैं मुख्य भूमिका निभाता है।

मंत्री परिषद अगर वाहन है तो प्रधानमंत्री उसका इंजन है। मंत्री परिषद अगर पहिया है तो प्रधानमंत्री उसकी धूरी है। बिना धूरी के ना तो पहिया घूम सकता है नहीं बिना इंजन के वाहन चल सकता है। प्रधानमंत्री के त्यागपत्र देने से पूरा मंत्रिमंडल भी विघटित हो जाता है। प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर भी मंत्री परिषद तब तक निष्क्रिय जैसा हो जाता है जब तक वह कोई नया प्रधानमंत्री न चुन ले। जबकि किसी मंत्री की मृत्यु अथवा त्यागपत्र देने की अवस्था में प्रधानमंत्री का पद अच्छुण रहता है। और अगर वह चाहे तो उसे खाली मंत्री पद पर डाल के किसी और सांसद को नियुक्त करने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर सकता है।

मंत्री परिषद के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री

मंत्री परिषद की प्रमुख के रूप में वह निम्न शक्तियों का प्रयोग करता है-

* अपने दल के सांसद को अपने मंत्री बनाने की सिफारिश राष्ट्रपति से करना।

* मंत्रियों के विभागों का आवंटन करना।

*आवश्यकता पड़ने पर मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करना।

* किसी मंत्री को पद से हटने अथवा राष्ट्रपति को उसके बर्खास्तगी के लिए सलाह देना।

* सभी मंत्रियों और उनकी गतिविधियों को निर्देशित एवं नियंत्रित करना।

* सभी मंत्रियों एवं मंत्रालयों के बीच संबंध में बनाए रखने में मुख्य भूमिका अदा करना।

 

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