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भारत की डीआरडीओ संस्था के द्वारा इंटरसेप्टर मिसाइल AD(interceptor missile AD1) का सफल परीक्षण किया जा चुका है। Udisa के बालेश्वर स्थित अब्दुल कलाम आइसलैंड से पहले पृथ्वी-2 न्यूक्लियर मिसाइल दागी गई इसके बाद इंटरसेप्टर मिसाइल AD1 (interceptor missile AD1) लॉन्च किया गया। यह बहुत ही खतरनाक परीक्षण था इस टेस्ट के लिए 10 गांव के 10581 लोगों को अस्थाई शिविर में शिफ्ट किया गया था

इतनी ज्यादा लोगों की संख्या को अस्थाई शिविर में शिफ्ट कर उन्हें खाने-पीने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई थी इससे पता लगता है कि यह कितना महत्वपूर्ण एवं खतरनाक परीक्षण है। जैसे कि आप सभी को पता है कि डीआरडीओ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (defence research and development organisation) है।

यह परीक्षण 4:20 शाम को किया गया। यह परीक्षण सुबह होने वाली थी किंतु मौसम की प्रॉब्लम के कारण या प्रशिक्षण शाम को किया गया।

interceptor missile AD1 एक ऐसी मिसाइल है जो दूसरी छोर से आ रही मिसाइल को रास्ते में ही भस्म कर सकती है यह मिसाइल परवलयकार में चलती है। भारत की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा डीआरडीओ को उन्होंने हृदय से बधाई दिया और इसी तरह से काम करते रहने के लिए उन्हें अनुशंसा व्यक्त की है यह परीक्षण एक सफल परीक्षण है जो भारत के लिए एक गर्व की बात है हम भारतीयों को ऐसे डिफेंस सिस्टम पर गर्व है।

mission success

चित्र में दिखाए गए परवलय आकार में यह मिसाइल वर्क करेगी।

DRDO का फुल फॉर्म क्या है?

DRDO – डीआरडीओ का फुल फॉर्म -(defence research and development organisation) अर्थात रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान है।

डीआरडीओ के अध्यक्ष कौन हैं?

वर्तमान में डीआरडीओ के सचिव एवं अध्यक्ष “समीर वी कामत” है। जिन्होंने 26 अगस्त 2022 को इस पद का शपथ लिया है।

DRDO क्या कार्य करती है ?

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन रक्षा के क्षेत्र में कार्य करती है। जल थल नव सेनन की रक्षा जरूरत के अनुसार विश्व स्तरीय हथियार एवं यंत्रों का प्रोडक्शन करती है। डीआरडीओ मिलिट्री टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत से कार्य करती है जैसे कि साइबर, लाइफ साइंस और कृषि जैसी क्षेत्र में तेजी ला रहा है।

डीआरडीओ एक वैज्ञानिक रिसर्च का केंद्र है जहां वैज्ञानिक सीनियर एवं जूनियर वैज्ञानिक मिलकर रक्षा के क्षेत्र में एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का प्रोडक्शन करती है उन पर रिसर्च करती है एवं विश्व स्तरीय पर अपना भागीदारी रक्षा के क्षेत्र में देती है।

डीआरडीओ में लगभग 41 प्रयोगशाला और पांच डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशाला( DYSL) का नेटवर्क है।

जहां मिलकर सभी रिसर्च करते हैं।

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